Sunday, August 24, 2008

कृष्ण पद-1


ओ माधव सुनि अरज हमारी।
निमिष निमिष दिन बहुत बीति गए, सुदि कीन्ही ना नैंक तिहारी। ओ माधव सुनि……॥
जिन जिन याद कियो सच्चे मन, छुटि गयी सब दुनियादारी। ओ माधव सुनि……॥
अब कछु कृपा करहुँ योँ श्यामल, मोहनी मूरति लगै पियारी। ओ माधव सुनि……॥
अब न जनम चहियें जग गिरिधर, अब जग से मन होइ दुखारी। ओ माधव सुनि……॥
मोकूँ श्याम करहु क्यों देरी, जब तुमनें सब दुनिया तारी। ओ माधव सुनि……॥
दीनदयाल नाम तुमरौ है, दीनन के तुम हो हितकारी। ओ माधव सुनि……॥
नहीं उबारौ संजय अबकें, लोग हसिंगे दै दै तारी। ओ माधव सुनि……॥