
अब मोइ और कछू नहिं चहियहिं।
राम नाम के सुन्दर मोती, अब हिय बिच बिखरहियहिं। अब मोइ और……॥
छोड़ घुमक्कड़पन मन मूरख, हरि मन्दिर बस जइयहिं। अब मोइ और……॥
देर भई बहु समय बीति गयौ, अब पद रामहिं गहियहिं। अब मोइ और……॥
करै चाकरी क्यों इस जग की, जब मालिक रामईयहिं। अब मोइ और……॥
बिषय भोग कौ रोग भयंकर, दवा ‘नाम’ की खईयहिं। अब मोइ और……॥
क्यों रोबै झूठे जग कूँ तू, संग कोई नहीं जईयहिं। अब मोइ और……॥
संग जाइगौ राम भजन ही, राम न तू बिसरईयहिं। अब मोइ और……॥
नैंन मूँदि संजय लखि मूरति, बूँद एक ढरिकईयहिं। अब मोइ और……॥
राम नाम के सुन्दर मोती, अब हिय बिच बिखरहियहिं। अब मोइ और……॥
छोड़ घुमक्कड़पन मन मूरख, हरि मन्दिर बस जइयहिं। अब मोइ और……॥
देर भई बहु समय बीति गयौ, अब पद रामहिं गहियहिं। अब मोइ और……॥
करै चाकरी क्यों इस जग की, जब मालिक रामईयहिं। अब मोइ और……॥
बिषय भोग कौ रोग भयंकर, दवा ‘नाम’ की खईयहिं। अब मोइ और……॥
क्यों रोबै झूठे जग कूँ तू, संग कोई नहीं जईयहिं। अब मोइ और……॥
संग जाइगौ राम भजन ही, राम न तू बिसरईयहिं। अब मोइ और……॥
नैंन मूँदि संजय लखि मूरति, बूँद एक ढरिकईयहिं। अब मोइ और……॥
5 comments:
सुन्दर भजन!!
सुन्दर भजनो के लिये धन्यवाद
बहुत ही सुंदर। राम भक्ति में हरि ओम शरण जी के गुनगुनाए भजन तो लाजवाब होते हैं।
भेंट भई अवधेस दया बलु जोग सुजोग नहीं कहिऐ जी।
सील सुभाव बड़ा मनमोहक चाह सदैव बने रहिऐ जी।।
नेह बढै़ हरिनाम कथा संतोष कहाँ जगु में सुनिऐ जी।
जोरि करौं बिनती कर दोउ कि रामहि राम जपा करिऐ जी।।
आप सभी भक्तों का बहुत बहुत धन्यवाद ...!!
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