
सोई मालिक रघुवीर हमारे।
पीताम्बर जिन अंग बिराजे, धनुषबाण जिन धारे॥ सोइ मालिक……॥
घर दशरथ जिन जनम लियौ, प्रभु नित मारें किलकारे॥ सोइ मालिक……॥
बड़े भए मुनि संग बन धाए, दैत्य भयंकर मारे॥ सोइ मालिक……॥
जनक यज्ञ में धनुष तोरि शिव, सिय वरमाला डारे॥ सोइ मालिक……॥
लखन सिया सँग लीला कीन्ही, पुनि वन हेतु सिधारे॥ सोइ मालिक……॥
जनम जनम कौ केवट भूखौ, प्रभु पद कमल पखारे॥ सोइ मालिक……॥
पार उतरि केवट की नैया, सब भव-सागर तारे॥ सोइ मालिक……॥
नाम लेत संजय की अखिंयन, भरि भरि बहैं पनारे॥ सोइ मालिक……॥
2 सितम्बर 2008
शिकागो, अमेरिका
3 comments:
" thanks for making this Bhajan available to read. very peaceful to read'
Regarsd
Thank you Seema Ji. I am glad that you liked it.
Awesome lyrics... Bhaiya... Jai ho
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